
केंद्रीय मंत्री किरन रिजिजू ने ऐलान किया है कि संसद का मॉनसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होकर 12 अगस्त तक चलेगा। पहलगाम हमले के बाद विपक्ष लगातार विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहा था। विपक्ष का आरोप था कि सरकार ने “ऑपरेशन सिंदूर” पर जवाबदेही से किनारा कर लिया है।
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कांग्रेस, TMC, RJD, AAP – सब गरजेंगे, बरसेंगे
विशेष सत्र की मांग को लेकर कांग्रेस और TMC सबसे मुखर थीं। अब जब सामान्य मॉनसून सत्र में ही सभी मुद्दों को उठाने का मंच मिल रहा है, तो विपक्ष की तरफ से साफ है कि “चुप नहीं बैठेंगे, ऑपरेशन सिंदूर से लेकर चीन सीमा और महंगाई तक हर बादल फटेगा।”
पहलगाम हमले के बाद केंद्र सरकार की चुप्पी को विपक्ष ने बार-बार घेरा। अब उम्मीद की जा रही है कि संसद सत्र में न सिर्फ जवाबदेही मांगी जाएगी, बल्कि सत्ता पक्ष को भी पसीना ला देने वाले सवालों का सामना करना पड़ेगा। सिर्फ मानसून नहीं, सवालों की भी बौछार होगी इस बार।
सरकार की तैयारी: ‘सवालों की छतरी और जवाबों की रेनकोट’
सरकार का रुख अब तक संयमित है। कहा जा रहा है कि गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय मिलकर संसद में पहलगाम और अन्य मुद्दों पर विस्तृत बयान देने की योजना बना रहे हैं।
संसद की बारिश शुरू होने वाली है, छाता तैयार रखिए – हर दल अपना-अपना बादल लेकर पहुंच रहा है!
सियासी तापमान अब भीषण गर्मी से झुलसा हुआ है, पर 21 जुलाई से शुरू होने वाला मॉनसून सत्र, शायद बोलने वालों को ठंडक और सुनने वालों को गरमी दे जाए। सवाल ये नहीं कि बारिश होगी या नहीं… सवाल ये है कि सरकार इसके बाद भी सूखी निकल पाएगी या बह जाएगी?
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